हिमा दास को सलाम और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएँ!

Salute to Hima Das and best wishes for her bright future!
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क्या आप जानते हैं कि भारत की धरती पर एक ऐसी बेटी ने जन्म लिया है जिसने दौड़ के मैदान में देश का नाम रोशन किया है? हम बात कर रहे हैं हिमा दास की, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और मेहनत से भारतीय एथलेटिक्स में एक नया इतिहास रचा है।
हिमा दास का जन्म असम के नगाँव जिले के धींग गांव में हुआ था। एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली हिमा ने अपने सपनों को पंख देने के लिए कई कठिनाइयों का सामना किया। उनके पास न तो उच्च कोटि के प्रशिक्षण की सुविधाएँ थीं और न ही अच्छे संसाधन, लेकिन उनकी लगन और जुनून ने उन्हें कभी हार मानने नहीं दी।
2018 में आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में हिमा दास ने इतिहास रच दिया। 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में उन्होंने 51.46 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता और इस उपलब्धि के साथ वे यह कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गईं। यह जीत न केवल हिमा के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण था।
हिमा दास की कहानी संघर्ष, साहस और समर्पण की अद्वितीय मिसाल है। उनकी यह यात्रा हमें सिखाती है कि जीवन में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं, अगर हम दृढ़ निश्चय और मेहनत के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें, तो हम हर बाधा को पार कर सकते हैं।
हिमा दास ने न केवल अपने सपनों को साकार किया, बल्कि उन्होंने अन्य युवाओं को भी प्रेरित किया है कि वे अपने सपनों का पीछा करें और उन्हें हकीकत में बदलने का प्रयास करें। उनकी कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो बड़े सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।